Moral Story : सब कुछ अच्छे के लिए

Moral Story : सब कुछ अच्छे के लिए- नमस्ते दोस्तों! जीवन में कई बार ऐसी घटनाएं होती हैं, जो पहले दुखद लगती हैं, लेकिन बाद में उनके पीछे छिपा अच्छा परिणाम सामने आता है। आज हम एक best hindi story लेकर आए हैं

By Lotpot
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Moral Story : सब कुछ अच्छे के लिए- नमस्ते दोस्तों! जीवन में कई बार ऐसी घटनाएं होती हैं, जो पहले दुखद लगती हैं, लेकिन बाद में उनके पीछे छिपा अच्छा परिणाम सामने आता है। आज हम एक best hindi story लेकर आए हैं, जो एक राजा और उसके बुद्धिमान सलाहकार की प्रेरक हिंदी कहानी है। यह कहानी आपको जीवन के गहरे सबक सिखाएगी। तो चलो, इस रोचक सफर पर चलें!

जंगल का अप्रत्याशित मोड़

एक दिन राजा विक्रम और उनका सलाहकार रमेश जंगल में शिकार के लिए निकले। रास्ते में कांटेदार झाड़ियों को हटाते हुए राजा के हाथ पर एक नुकीला कांटा चुभ गया, और उनकी एक उंगली में चोट लग गई। दर्द से तड़पते हुए राजा ने गुस्से से कहा, "यह क्या हुआ, रमेश? अब शिकार कैसे होगा?" रमेश ने शांत स्वर में जवाब दिया, "महाराज, चिंता न करें। जो होता है, वह हमेशा अच्छे के लिए होता है।"

राजा को यह बात नागवार गुजरी। क्रोध में उन्होंने अपने सैनिकों को बुलाया और बोले, "इस सलाहकार को जेल में डालो! ऐसी बकवास सुनकर मेरा दिमाग खराब हो गया।" सैनिकों ने रमेश को जेल की ओर ले गए, और राजा अकेले जंगल में आगे बढ़ गए। थोड़ी देर बाद कुछ कबीले के लोग राजा को घेर लिया। वे उसे बलि के लिए तैयार कर रहे थे, लेकिन तभी एक कबीले वाले ने राजा की चोटिल उंगली देखी और बोला, "इसके अंग अधूरे हैं, हम इसे बलि नहीं दे सकते।" इस तरह राजा की जान बच गई।

समझ का उदय

जंगल से लौटकर राजा को रमेश की बात याद आई। वे सीधे महल गए और रमेश को जेल से बाहर निकाला। प्रेम से गले लगाते हुए राजा बोले, "रमेश, तुम सही थे। मेरी उंगली की चोट ने मेरी जान बचा ली। लेकिन मैंने तुम्हें सजा देकर गलत किया। इसमें अच्छा क्या हुआ?" रमेश मुस्कुराए और कहा, "महाराज, अगर मैं आपके साथ होता, तो कबीले वाले मुझे बलि दे देते, क्योंकि मेरे साथ कोई कमी नहीं थी। जेल ने मेरी जान बचाई!"

राजा चकित रह गए और बोले, "तो तुम्हारी बुद्धिमानी ने हम दोनों को बचा लिया?" रमेश ने कहा, "हां, महाराज, जीवन के हर पल में एक गहरा कारण होता है।" उसी रात महल में एक उत्सव हुआ, जिसमें राजा ने रमेश को सम्मानित किया और सारी प्रजा को इस सबक से अवगत कराया।

कुछ दिन बाद जंगल में एक और घटना हुई। एक शिकारी ने कबीले वालों को परेशान करना शुरू कर दिया। राजा ने रमेश से सलाह ली, और रमेश ने कहा, "महाराज, हमें कबीले वालों से दोस्ती करनी चाहिए।" राजा ने कबीले के सरदार को बुलाया और कहा, "हमारा दुश्मन शिकारी है, आइए मिलकर उसे भगाएं।" कबीले वाले राजा की बात से खुश हुए और मिलकर शिकारी को जंगल से बाहर कर दिया।

इस घटना के बाद राजा ने रमेश को अपना मुख्य सलाहकार बनाया। एक दिन प्रजा के बीच एक बच्चे ने पूछा, "राजा जी, क्या हर बुराई में अच्छाई होती है?" राजा ने मुस्कुराकर कहा, "हां, बेटा, बस धैर्य रखो और समझदारी से काम लो।" बच्चे ने ताली बजाई, और जंगल की यह कहानी प्रजा में चर्चा का विषय बन गई।

सीख

इस प्रेरक कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जो भी होता है, वह अच्छे के लिए होता है। धैर्य और समझदारी से हर मुश्किल का हल निकलता है।

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